हमें हर कदम पर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, प्राचीन हिन्दू राष्ट्र के गौरव के हर मिथक और झूठ का विरोध करना होगा और उसे जनता की निगाह में खण्डित करना होगा।
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“एक देश में दो सरकारें” यह देश की सम्प्रभुता को खण्डित करना था लिहाजा देशद्रोह भी, पर भला ऐसे देश से कोई देशप्रेम क्यों करेगा, जो जीवन जीने के मूलभूत अधिकार तक छीनता हो, यकीनन आप भी नहीं और गृहमंत्री, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री भी नहीं, बशर्ते वे गृहमंत्री, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री न होकर उन जंगलों के आदिवासी होते जिनके घरों को १२ बार जलाया गया, जिनके बेटों का कत्ल उनके सामने इसलिये कर दिया गया कि उन्होंने माओवादियों को रास्ता बताया.